- 59 Posts
- 43 Comments
आतंकवाद को कुचलने की है जरुरत
। ।।
संसार को स्वतंत्रता,समानता तथा बंधुत्व की भावना का पाठ पढाने वाले फ्रांस के फैशन की नगरी पेरिस में 26/11 के मुंबई हमले की तर्ज पर हुए सिलसिलेवार आतंकी हमले से मानव समुदाय मर्माहत है.वर्षों से शांत रहा यह राष्ट्र आज आतंकवादी हमले के कारण लहुलुहान हो गया है.आइएस के आतंकियों ने मानवता का गला घोंटकर सेकडों लोगों को मौत की स्थायी नींद सुला दी.इससे पूर्व भी तथाकथित धार्मिक भावनाओं को आहत करने की आड में ‘शार्ली एब्दो’ पत्रिका के पत्रकारों व कर्मचरियों को निशाना बनाया गया था.आतंकी घटनाओं के लगातार प्रकाश में आने से भारत सहित विश्व के अधिकांश देश आतंक और दहशत के साये में जीने को विवश हो गया है.आतंकवाद आज वैश्विक समुदाय के समक्ष बडी समस्या का रुप ले चुका है,जिससे निपटना किसी चुनौती से कम नहीं है.निःसंदेह,कुछ देशों में आतंक का फसल लहलहा रहा है और यह भी कहने में संकोच नहीं कि उसे अप्रत्यक्ष तौर पर खाद-पानी भी मिल रहा है.लेकिन उसे जड से काटने की जरुरत है ताकि विश्व में अमन,शांति व भाईचारा कायम किया जा सके.हालांकि,एकल तौर पर कुछ राष्ट्र आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन यह काफी नहीं,जरुरत साझा प्रयास करने की है.इसमें संयुक्त राष्ट्र नेतृत्वकर्ता की भूमिका अदा कर सकता है.इधर,ब्रिक्स देशों का एक मंच से आतंक के खिलाफ निपटने का ऐलान सराहनीय है,इसी तरह और देशों को आगे आने की जरूरत है.दूसरी तरफ,आए दिन धार्मिक नीतियों,सिद्धांतों से परे धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता रहा है तथा उनसे अवैध एवं गैरकानूनी काम कराए जाते हैं.मान्यता ऐसी की ऐसे काम करने से जन्नत की प्राप्ति होगी,लेकिन वास्तव में जिंदगी जहन्नुम सरीखी हो जाती है.पैगंबर मोहम्मद साहब ने जिस जिहाद(पवित्र धर्मयुद्ध) की बात की थी,उसका स्वरुप बदल चुका है.आज उसमें पवित्रता नहीं वरन् कट्टरता व धार्मिक श्रेष्ठता के अंश समा गये हैं.बावजूद इसके बडी संख्या में युवाओं का पलायन आपराधिक संगठनों की ओर हो रहा है.युवाओं की अंधभक्ति का यह स्वरूप उसमें देशभक्ति व राष्ट्रवाद की भावना को क्षीण कर रहा है.काश इस बात को वे समझ पाते तो जितनी भक्ति आतंकवादी संगठन के साथ रखते हैं उतनी ही अपने समाज व देश के लिए रखते.
▪सुधीर कुमार
Read Comments