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दैनिक-जीवन में मेहनत-मजदूरी कर,जीवन-यापन करने वाले,निम्न आय वर्गीय परिवारों के लिए,केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना नरेगा(अब मनरेगा)उम्मीद की किरण साबित हुई है|यह ना सिर्फ,लाखों गरीब तथा वंचित परिवारों का पेट पाल रहा है,बल्कि उनके लिये उन्नति की नयी राहें भी खोल रहा है|भारतीय ग्रामीण समाज में परंपरागत रुप से व्याप्त कुपोषण,गरीबी तथा बेकारी की समस्या में कमी लाने की दिशा में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है|यह योजना,इसलिए भी लाभकारी है,क्योंकि अब लोगों में रोजगार की घुमंतु प्रवृति पर रोक लगी है,पहले की तुलना में रोजगार की खोज में विभिन्न प्रदेशो को प्रवास करने वाले लोगो की संख्या में बड़ी कमी आई है||साथ ही,इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी,उनके स्वालंबन की दिशा में एक कारगर कदम साबित हो रहा है|कुछ महिलाएं,मजबूरन पति पर निर्भरता छोड़ स्वयं घर चलाने का जिम्मेदारी भी ले रही हैं|अच्छा है|महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है|वर्ष 2015 -2016 में मनरेगा में अब तक 57 % कामगार महिलाएं होने की बात सामने आयी है|मनरेगा,रोजगार सृजनकर्ता है,यह बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन कर रहा है|यह मजदूरों को सौ दिनों के रोजगार की गॉरंटी तो देता ही है,साथ में,रोजगार न देने की एवज में बेरोजगारी-भत्ते का भरोसा भी देता है|हां,समय के साथ सरकार की अन्य योजनाओं की तरह यह भी भ्रष्टाचार के ग्रहण से बच ना सका|उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखण्ड,छत्तीसगढ़,पंजाब और मणिपुर जैसे राज्यों से भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें आ रहीं हैं|लेकिन जॉब कार्ड की ऑनलाइन व्यवस्था और अब मजदूरों के बैंक खातों में सीधी राशि भेजने का प्रयास,इस दिशा में अंकुश लगाने का सार्थक प्रयास है|कुछ नौसिखिये ठेकेदार,मनरेगा में लूट की बुनियाद पर खुद की तरक्की का सपना देखते हैं|दिक्कत यहीं पर है|दूसरी तरफ,मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों के श्रम मूल्य का राज्यवार असमान वितरण है|जब श्रम समान है,तो मजदूरी में यह असमानता क्यों?यह तो मानव के श्रमबल का मजाक ही है|बावजूद इसके,यह योजना कल्याणकारी है|बहुत हद तक सफल भी|अगर ना होती,तो 10 वर्ष पूरे होने पर इसकी सफलता के श्रेय लेने के लिये यूपीए और एनडीए के लोगों में होड़ ना लगी होती|ग्रामीण भारत के लोगो के सशक्तिकरण की दिशा में यह योजना अच्छी भूमिका निभा रहा है|बस जरुरत है तो उचित क्रियान्वयन और पारदर्शिता लाने की|सरकार नियमित मॉनिटरिंग कराये,तो कुछ बात बने|
सुधीर कुमार
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