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सैग खेलों का सफल समापन

आहत हृदय
आहत हृदय
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गुवाहाटी और शिलांग शहर में संयुक्त रुप से आयोजित,12वें दक्षिण एशियाई खेलों का सफलतापूर्वक समापन हो चुका है।इन 12 दिनों में,भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया।सुखद यह रहा कि पहले दिन से स्वर्णिम अभियान के आगाज का अंत भी इसी रुप में हुआ।खेल के विभिन्न विधाओं में भारतीय महारथियों ने अपना दबदबा बनाए रखा।खिलाड़ियों के समर्पण और जुझारुपन से,प्रतिदिन भारत की झोली में स्वर्ण अन्य पदकों की बौछार होती रही।सार्क के अन्य सात सदस्य देश,तालिका में स्वर्ण तथा कुल पदक के मामले में भारत के इर्द-गिर्द भी नही दिखे।इस बार,रिकॉर्ड 188 स्वर्ण सहित कुल 308 पदक भारत के खाते में आये।संपूर्ण आयोजन में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओ ने खासा प्रभाव छोड़ा।इन खिलाडियों ने साबित किया कि अगर लगन सच्चा हो और मन में जूनून हो,तो सफलता प्राप्ति में संसाधनविहीनता बाधा नहीं बनती,वरन चुनौतियों से लड़ने की ताकत प्रदान करती है।निशानेबाजी,मुक्केबाजी,कबड्डी से लेकर जुडो,ताइक्वांडो और दौड़ तक,सभी में भारतीय खिलाड़ियों ने अपना दबदबा बनाए रखा।आश्चर्य की बात यह रही कि भारत ने तीरंदाजी,मुक्केबाजी,टेबल टेनिस सहित 10 खेलों में स्वर्ण पदकों की क्लीन स्विप भी की।इसके साथ ही,मेजबान भारत ने इस दौरान सैग खेलोँ के इतिहास मेँ 1000 स्वर्ण और कुल 2000 पदकोँ का जादुई आंकड़ा भी पार किया।पूरे सत्र में उम्दा प्रदर्शन करने से खिलाड़ियों के हौसले बुलंद हैं।कुछ खिलाड़ियों ने सैग का फतह कर,इसी वर्ष अगस्त में आयोजित होने वाले रियो ओलंपिक का टिकट भी कटा लिया है।जाहिर है इस प्रदर्शन का प्रभाव ओलिंपिक में दिखाई देगा।अगर,सब कुछ सकारात्मक रहा,तो ओलंपिक में भी अच्छे पदक आएंगे।दक्षिण एशियाई खेलों(सैग)के सफल आयोजन के लिए खेल मंत्रालय तथा भारत को पदक तालिका में शीर्ष पर पहुंचाने के लिए अथक प्रयास करने वाले सैकड़ों खिलाडियों के जज्बे को सलाम और भविष्य में इसी तरह के प्रदर्शन को दोहराने के लिए ढेरों शुभकामनाऐँ!

▪सुधीर कुमार

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